Cyber crime: ना मैसेज,ना ओटीपी, न ही आया कोई लिंक, फिर कैसे साफ हुआ खाता, यहां जाने पूरा मामला

Cyber crime: कोरोना के बाद डिजीटल देने में बाढ ही सी आ गई है। साइबर ठग अब इतने हाईटेक हो चुके हैं कि वे बिना किसी ओटीपी, मैसेज और लिंक पर क्लिक कराए ही लोगों के बैंक खातों से रुपये उड़ा रहे हैं।
यानि यह एक तरीके से साइलेंट फ्रॉड है। एक सप्ताह के भीतर ऐसे एक तो नहीं बल्कि 12 केस सामने आए हैं, जिनमें पीड़ितों के मोबाइल पर घंटों बाद रुपये निकाले जाने का संदेश आया।
कैसे हुआ ये सब: हैरानी की बात यह है कि न तो उन्होंने किसी अनजान लिंक पर क्लिक किया, न ही किसी से बैंक डिटेल साझा की और न ही कोई ओटीपी आया। फिर भी उनके खाते कैसे साु हो गए है।
साइबर थाना की पुलिस इन मामलों को लेकर परेशान है, क्योंकि अब तक की ठगी की तकनीकों में ओटीपी, काल या मैसेज के जरिए जानकारी हासिल की जाती थी, लेकिन इन नए मामलों में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पुलिस ने के लिए अब ऐसे गिरोह को पकडना बडी चुनौती बन गई है।
बदलती तकनीक के आजकल साइबर अपराध भी अब नई दिशा में प्रवेश कर चुके। सामने आए ये साइलेंट फ्रॉड के मामले आम जनता के लिए चेतावनी है कि अब सिर्फ फोन, ओटीपी और लिंक से बचाव ही काफी नहीं, आपको अपने मोबाइल डिवाइस को पूरी तरह सुरक्षित रखना होगा।
क्योकि तकनीकी रूप से अपडेट और जागरूक ही आपको साइबर अटैंक का कारण बन सकता है। क्योंकि आजकल साइलेंट फ्राड के लिए ठग फिशिंग या मैलवेयर का प्रयोग कर सकते हैं। कभी-कभी पुराने या कम सुरक्षित एंड्राइड फोन में थर्ड पार्टी एप व एक्सेस की गई साइट्स से जालसाजों को मौका मिल जाता है।
सुरेंद्र के बैंक खाते से दो बार में ढाई लाख रुपये निकाल लिए गए। उनके पास रुपये कटने का कोई मैसेज भी नहीं आया। इसका पता उन्हें तब चला, जब उन्होंने अपना बैंक बैलेंस की जांच की तो उसके होश उड गए।
सिर्फ सात दिनों में दर्ज हुए 11 मामलों से शहर के लोग डर और भ्रम में हैं। खासकर वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं अब बैंक से रुपये निकालने व मोबाइल बैंकिंग का उपयोग करने से डरने लगे हैं।