Haryana News: महिला कर्मचारियों के लिए राहतभरी खबर! सरकार ने बदल दिए छुट्टियों के नियम
अब साल में मिलेंगी 22 छुट्टियाँ अतिरिक्त 10 मेडिकल लीव के साथ महिलाओं को मिलेगा कार्यस्थल पर राहत और सम्मान।

Haryana News: सरकार ने महिलाओं के हित में एक अहम और राहत भरा फैसला लिया है। अब राज्य में आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-2 और हरियाणा स्किल एम्प्लॉयमेंट कॉरपोरेशन के तहत काम करने वाली सभी महिला कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को हर महीने दो कैजुअल लीव मिलेंगी। यह छुट्टियाँ उन्हें अलग से दी जाएंगी। पहले इन महिला कर्मचारियों को साल में 10 दिन की कैजुअल लीव और 10 दिन की मेडिकल लीव मिलती थी। अब उनके पास छुट्टियों की संख्या और विकल्प दोनों बढ़ गए हैं।
हालांकि यह सुविधा हर महीने की दो छुट्टियों के रूप में दी गई है लेकिन सरकार ने इसकी अधिकतम सीमा तय कर दी है। साल में कुल 22 कैजुअल लीव ही ली जा सकेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी कर्मचारी ने कुछ महीने छुट्टियाँ नहीं लीं तो वह उन्हें जोड़कर बाद में भी नहीं ले सकेगी। यह नियम इसलिए तय किया गया है ताकि छुट्टियों का दुरुपयोग न हो और कार्यप्रणाली प्रभावित न हो।
यह छुट्टियाँ होंगी मेडिकल लीव से अलग
इन नई कैजुअल लीव्स का कोई असर पहले से मिल रही 10 दिनों की मेडिकल लीव पर नहीं होगा। यानी अब महिला कर्मचारियों को साल में 10 मेडिकल लीव के अलावा 22 कैजुअल लीव तक मिल सकेंगी। इससे उन्हें निजी या पारिवारिक कारणों से ऑफिस से छुट्टी लेने में आसानी होगी और बार-बार मेडिकल लीव का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। यह महिला कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट ने दी मंजूरी
इस फैसले को राज्य सरकार की कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी दी गई जो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार का यह कदम महिला कर्मचारियों के कार्य संतुलन और निजी जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है। खासकर उन महिलाओं के लिए जो नौकरी के साथ घर की जिम्मेदारियाँ भी निभा रही हैं।
इस फैसले के बाद राज्य भर में महिला कर्मचारियों और उनके संगठनों में खुशी की लहर है। लंबे समय से महिला कर्मचारी इस तरह की सुविधा की मांग कर रही थीं जिससे उन्हें लचीलापन मिल सके। अब सरकार ने उनकी बात सुनी है और इससे कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों की संतुष्टि और उत्पादकता दोनों बढ़ेगी। उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में सरकार और भी महिला-केंद्रित निर्णय लेगी।