Haryana News: हरियाणा में किसानों को मिली राहत! 70 मीटर में ट्यूबवेल शिफ्टिंग अब मुफ्त
अब किसानों को नहीं देना होगा 30 से 40 हजार रुपए का खर्चा ट्यूबवेल कनेक्शन शिफ्ट करने पर मिलेगी राहत सरकार ने दिए नए आदेश

Haryana News: हरियाणा सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। अब अगर कोई किसान अपने ट्यूबवेल कनेक्शन को 70 मीटर के दायरे में दूसरी जगह शिफ्ट कराना चाहता है तो उसे किसी तरह का शुल्क नहीं देना होगा। पहले ये शिफ्टिंग किसानों को 30 से 40 हजार रुपये तक की भारी भरकम रकम में पड़ती थी। लेकिन अब बिजली निगम ने आदेश जारी कर दिए हैं कि इस दूरी में ट्रांसफर होने वाले कनेक्शन पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
यह छूट सभी स्थितियों में नहीं दी जाएगी। बिजली निगम की ओर से साफ किया गया है कि ट्यूबवेल तभी दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा जब उसका बोर फेल हो चुका हो या पानी में खारापन हो गया हो। इसके अलावा अगर जिस जमीन पर ट्यूबवेल लगा था वह अब सरकारी कब्जे में आ गई है तो भी कनेक्शन ट्रांसफर की अनुमति दी जाएगी। मतलब ये कि नियमों में छूट है लेकिन शर्तों के साथ।
जमीन की मालिकाना हक जरूरी
किसान को जिस जमीन पर ट्यूबवेल कनेक्शन ट्रांसफर कराना है वह जमीन उसी किसान के नाम होनी चाहिए। अगर जमीन किसी और के नाम है तो शिफ्टिंग की अनुमति नहीं मिलेगी। इसके अलावा किसान का बिजली बिल बकाया नहीं होना चाहिए। यानी बिजली निगम की नजर में वह उपभोक्ता डिफॉल्टर नहीं होना चाहिए। तभी उसे ये सुविधा मिल सकेगी।
किसान संगठनों ने लड़ी लंबी लड़ाई
इस फैसले के पीछे किसानों की लंबी मांग और संघर्ष है। किसान संगठनों ने कई बार सरकार से ये गुहार लगाई थी कि ट्यूबवेल फेल होने या पानी खराब होने की स्थिति में किसानों को राहत दी जाए। उनका तर्क था कि हरियाणा में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है और कई इलाकों में पानी में सिल्ट और खारापन बढ़ गया है। जिससे ट्यूबवेल काम नहीं करते। ऐसे में किसानों पर दोबारा कनेक्शन लगवाने का खर्चा भारी पड़ता है। अब सरकार ने उनकी मांग मान ली है।
इस फैसले से हजारों किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी। ट्यूबवेल का फेल होना हरियाणा के कई जिलों में आम समस्या है और नई जगह कनेक्शन शिफ्ट कराना बेहद खर्चीला काम होता है। लेकिन अब सरकार की ओर से इस पर से शुल्क हटाए जाने से किसान आसानी से अपने ट्यूबवेल दूसरी जगह शिफ्ट करवा पाएंगे। इससे खेती की लागत में कमी आएगी और उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी। किसान संगठन भी इस फैसले से काफी खुश हैं।