Haryana News: 6.36 लाख परिवारों को लगा झटका, सरकार ने बीपीएल से हटाए नाम
सरकार ने बढ़ी आय और वाहनों की जानकारी के आधार पर हटाए नाम, लेकिन कई परिवारों ने उठाए सवाल। जानिए किन जिलों में सबसे ज्यादा राशन कार्ड हुए रद्द।

Haryana News: हरियाणा के खाद्य आपूर्ति निदेशालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 6 लाख 36 हजार 136 परिवार अब बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) की श्रेणी से बाहर हो गए हैं। यह आंकड़ा दो महीने पहले 52.50 लाख था जो अब घटकर 46.14 लाख रह गया है। सबसे ज्यादा असर फरीदाबाद में देखने को मिला जहां 20,266 बीपीएल कार्ड रद्द कर दिए गए। इसके बाद पानीपत में 15,502 और करनाल में 15,059 कार्ड रद्द किए गए हैं।
सरकार का दावा: आय सीमा पार, वाहन मालिक होने पर की गई कार्रवाई
सरकार का तर्क है कि जिन परिवारों को बीपीएल सूची से हटाया गया है उनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से अधिक हो गई है। इसके अलावा कुछ परिवारों के नाम पर महंगे वाहन भी दर्ज हैं। ऐसे में अब ये परिवार पात्रता की शर्तों को पूरा नहीं करते और इन्हें अगस्त माह से मुफ्त राशन की सुविधा नहीं दी जाएगी। सरकारी योजनाओं से बाहर होने का सीधा असर गरीब परिवारों की रसोई पर पड़ सकता है।
कई जिलों में हज़ारों कार्ड हुए रद्द, पूरे प्रदेश में मचा हड़कंप
अंबाला में 14,501, गुरुग्राम में 14,301, सोनीपत में 12,498, यमुनानगर में 10,964 और कुरुक्षेत्र में 10,278 बीपीएल कार्ड रद्द किए गए। रोहतक, कैथल, हिसार, सिरसा, झज्जर, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जैसे जिलों में भी हज़ारों कार्ड रद्द हुए हैं। यह बदलाव पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि इससे लाखों लोग प्रभावित होंगे।
बिना सर्वे के बढ़ाई गई आय, गलत वाहन डाले परिवार पहचान पत्र में
इस सरकारी कार्रवाई पर सवाल भी उठने लगे हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें परिवारों की आय बिना किसी सर्वे के ही बढ़ा दी गई। कुछ लोगों का कहना है कि उनके पास न दोपहिया है न चौपहिया लेकिन परिवार पहचान पत्र में उनके नाम महंगे वाहन दर्ज हैं। यह तकनीकी गड़बड़ी या डेटा एंट्री की गलती मानी जा रही है जिससे हजारों जरूरतमंदों को योजना से बाहर कर दिया गया है।
लोगों की मांग: हो निष्पक्ष जांच और जल्द हो सुधार
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के प्रभावित लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि गलत आंकड़ों के आधार पर हटाए गए नामों की जांच की जाए और पात्र लोगों को फिर से सूची में जोड़ा जाए। लोगों का कहना है कि जिनके पास आज भी खाने के लाले पड़े हैं उन्हें तकनीकी गड़बड़ियों के कारण योजनाओं से वंचित करना अन्याय है। यदि यह मुद्दा गंभीरता से नहीं सुलझाया गया तो सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है।